धर्म
जानूं मैं कि आत्मन के बोध से इश्वर में समा जाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि ख़ुद को जान लूँ तो खुदा को पाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि परछाईं को थाम इशु का सहारा पाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि साथ अंधेरे के रौशनी से पार जाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि हर धर्म चाहे ख़ुद से बाहर आ जाऊं
ताकि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं