before I sleep

"The woods are lovely, dark and deep. But I have promises to keep, and miles to go before I sleep." - Robert Frost

"Our minds are finite, and yet even in these circumstances of finitude we are surrounded by possibilities that are infinite, and the purpose of life is to grasp as much as we can out of that infinitude." - Alfred North Whitehead

Sunday, October 12, 2008

धर्म

जानूं मैं कि आत्मन के बोध से इश्वर में समा जाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि ख़ुद को जान लूँ तो खुदा को पाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि परछाईं को थाम इशु का सहारा पाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि साथ अंधेरे के रौशनी से पार जाऊं
चाहूँ मैं कि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं
जानूं मैं कि हर धर्म चाहे ख़ुद से बाहर जाऊं
ताकि ना हिंदू ना मुस्लिम ना ही इसाई कहलाऊं

2 Comments:

Blogger neha dhamija said...

काश यह बात हर कोई समझ पता तो शायद इस समाज मे कोई इर्षा का भाव नही होता और एक इंसान दुसरे को मारने के लिए नही भागता.
बहुत ही सही ढंग से बताये गया है की जीवन का सार ख़ुद को जान कर उस देव्या ज्योति में लीन होना है

6:02 PM  
Blogger Madhur Kashyap said...

कुछ जानकारों ने इसे इंसानियत का पाठ समझा है किंतु मेरी दृष्टि से ये उससे अलग है| ख़ुद को खत्म करके इंसानियत ख़ुद-बखुद जन्म ले लेती है परन्तु इसका विपरीत नहीं होता|

10:32 AM  

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