पल
अगस्त २००८ में लिखने बैठा था ये कविता पर हर बार वो बात नही आती थी। हताश हो कर, मैंने मार्च २००९ में जो समझ आया लिख दिया। मेरे एक मित्र ने ऐसी टिपण्णी करी की इसको बदले बगैर मुझसे रहा न गया।
Kannan: bahut accha hai... parantu itni hatasha kyon?
खुशी की बात ये है की जैसी मैंने अगस्त में प्लान करी थी, वो शब्द आज जबान पर आ गए। और आज ३ अप्रैल २००९ को ये पुरी हुई है | इस ख्याल को पुरा करने में मेरे पिताजी का बड़ा योगदान है |
संशोधित प्रस्तुति
लहराते चित्रपट पर मुस्कान सजाये
गुज़रे लम्हों से सुनहरी यादें ढूंढ लाये
मन छलिया मधुर चलचित्र दिखाए
कल-कल कर ये पल बहता जाए
धुंधलाते चित्रपट पर जाल बनाये
गुज़रे लम्हों से कारण ढूंढ लाये
मन छलिया मुद्दे से ध्यान भटकाए
कल-कल कर ये पल बहता जाए
लहराते चित्रपट पर स्वप्न-महल बनाये
आनेवाले लम्हों में मरीचिका दिखाए
मन छलिया हर इक्च्छा पूरी कराये
कल-कल कर ये पल बहता जाए
धुंधलाते चित्रपट पर स्कीमें बनाये
आनेवाले लम्हों में अटकलें दिखाए
मन छलिया हार के द्वार ही पाए
कल-कल कर ये पल बहता जाए
कल के दर्शन में आज को भुलवाए
ख़ुशी गम चिंता राहत महसूस कराये
बैचैनी में घड़ी की सुइयां पकड़ न आयें
देख मेरी स्तिथि कलियुग ठहाके लगाये
कल-कल कर हर पल बहता जाए
कल-कल कर हर पल बहता जाए
प्रथम प्रस्तुति
हताश हो यादों में खुशी क्यों खोजे
आज के लिए बीते को क्यों कोसे
ऐसे ख़ुद को क्यों रहें है छल
कल-कल बहता जाए ये पल
इक्छापुर्ती वश सपने क्यों संजोये
भविष्य से चिंतित आज क्यों रोये
ऐसे ख़ुद को क्यों रहें है छल
कल कल बहता जाए ये पल
कल में खोये भूल गए क्या आज है
अनादी अनंत जिसका सार है
ये भी किसी ने सही है फरमाया
कल-का-युग कलियुग है आया
7 Comments:
bahut accha hai... parantu itni hatasha kyon?
sahi baat ... this is not what I had in mind while I was writing. I know what to give a twisting fix to this. I just can't fit good words ... do check it after sometime.
achcha hai...magar shabdo ka thoda abhav hai..tu isase better likh sakta hai...shant man se likhna agli baar..
Hmm .. intentionally words repeat kare hain. There is a reason behind them.
bahut jyada to samjah nahi hai mujhe par jitni hai usse laga that both version has complete change in sense....I wish the change is more than change in words.......:)
प्रथम प्रस्तुति बेहतर थी | दूसरी प्रस्तुति मैं भाव बहुत फीके पद गए |
ohh dats good ,, but use of proper words can make it gr8
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