प्राकृतिक दिनचर्या
- प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठें तथा उठते समय बांयी करवट ही उठे|
- जागने के तुंरत बाद मुंह पर स्वच्छ जल भरकर मारिये| इससे दृष्टि कमजोर नहीं होती और चश्मा भी उतरसकता है|
- प्रातः ही शौच से पूर्व ताम्र या चांदी के बर्तन में रात का रखा हुआ चार गिलास पानी पीना चाहिए| इससे कब्जबवासीर, रक्तपित, नेत्र सम्बन्धी और कफ से होने वाले रोग नहीं होते तथा बहुत से रोगों से छुटकारा हो जाताहै|
- प्रातः काल खाली पेट चाय बहुत हानिकारक है|
- शौच समय पर जाएँ| पेशाब या शौच करते समय दांत दबाकर रखने से मजबूत होते हैं|
- याद रखें स्नान से पूर्व, शौच से पूर्व, सोने से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब अवश्य करें| शौच के बाद गुदा को१५ से २० बार संकोचन करें, इससे गुदा सम्बन्धी रोग एवं शीग्रहपतन दूर होता है|
- हो सके तो सप्ताह में एक बार तेल मालिश अवश्य करें|
- सूर्य के सन्मुख मल-मूल त्याग ना करें| ऐसा करने से चर्म रोग होते हैं|
- दांत एवं जीभ साफ करते समय गले में स्थित तालू की सफाई अंगूठे से अवश्य करें, तथा गुनगुने पानी मेंनमक डाल कर घरारे अवश्य करें| इससे आँख, कान नाक, गले के रोग नहीं होते|
- प्रातः भ्रमण अवश्य करें एवं खुले में गहरी साँस के साथ प्राणायाम एवं योगासन अवश्य करें|
- जब समय मिल जाए तब तब प्रातः काल धूप में खुले बदन १५ से २० मिनट अवश्य बैठे|
- स्नान से पहले सूखे तौलिये से दस मिनट घर्षण करें, तथा स्नान के बाद भी हथेलियों से रगड़कर शरीर कोसुखाये और फिर तौलिये से पोंछें|
- बिना भूख भोजन ना करें और जब भी करें भूख से कम खायें|
- दिन में केवल दो बार भोजन करें जिसमें अधिकतर अपक्वाहार (फल, सब्जियाँ, ताज़ा हरे पत्ते, अंकुरितअन्नकण, शहद आदि) हों| यदि तीन बार करना है तो नाश्ते में फल एवं उनके रस|
- ध्यान का अभ्यास अवश्य करें|
- भोजन के बाद थोडी देर वज्रासन में अवश्य बैंठे या आठ साँस पीठ के बल लेकर, सोलह साँस दाहिनी करवटलेटकर तथा बत्तीस साँस बायीं करवट लेटकर लें| इससे भोजन शीघ्र हजम हो जायेगा तथा वायु रोग नहींहोंगे| रुकी हुई वायु का निष्काशन होगा|
- सांय काल भोजन के बाद १०० कदम अवश्य चलें|
- भोजन करने के बाद लकड़ी के कंघे से सर को खुजलाने से बालों का जल्दी गिरना, पकना, सिरदर्द, एवं सिरकी खाज नहीं होती|
- लगातार तीन घंटे काम करने के बाद थोड़ा विश्राम (शवासन) कर लें तथा साप्ताहिक छुट्टी अवश्य मनाएं|
- दिन में एक दो बार खुल कर जरूर हंसें|
- वस्त्र सादे सूती और स्वच्छ पहने| ऊनी कपड़े बदन से छूते हुए ना पहने|
- प्रति दिन चार पाँच तुलसी एवं नीम की पत्तियों का सेवन करें|
- दिन में सोने की आदत ना डालें|
- अच्छे विचार (पोसिटिव थिंकिंग) को अपने जीवन में उतारें| इससे मानसिक तनाव कम होगा|
- मन में निराशा को स्थान न दें| आशावादी बनें|
- हारता वह है जो हिम्मत गवां बैठता है|
- रात में पानी पीकर एवं पांओं धोकर सोयें|
- सोने से पहले मुख शुद्धि एवं तालू को साफ कर लें|
- सोते समय उत्तर या पश्चिम की तरफ पैर करके सोना चाहिए|
- थोड़ा सख्त बिस्तर पर सोयें एवं तकिया ना लगायें या पतला तकिया लगायें|
- बिस्तर के गद्दे, तकिया, चादर आदि धूप में डालने चाहिए|
- नींद आने पर ही सोना चाहिए|
- बिस्तर पर पड़े-पड़े नींद की राह देखना रोग को आमंत्रित करना है|
- सोते समय कभी भी मुंह नहीं ढकिये|
- नींद लाने के लिए कभी दवाई ना लें|
- रात्री १० बजे तक सो जाना चाहिए|
- आवास प्रकाश एवं वायु युक्त तथा स्वच्छ वातावरण में होना चाहिए|
- योगा गुरूजी